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शनिवार, १७ डिसेंबर, २०११

कपाळफोडी,Cardiospermum helicacabum L.

नावः कपाळफोडी
संस्कृत नावः काकमर्दनिका, कर्णस्फोटा
लॅटिन नावः Cardiospermum helicacabum L.
कूळः Sapindaceae (रिठा कूळ)



इतर नावे: कानफुटी, लटाफटकी, नयफटकी, कनफूटी, करोटीओ
उपयोगी भागः पाने
उपयोगः याच्या पानांचा रस कान फुटल्यास वापरतात. नविन संधीवातात ही वनस्पती उपयुक्त आहे. पण एकेरी वापरु नये, उलट्या जुलाब होऊन उपयोगी पडत नाही, त्याबरोबर सुगंधी वनस्पती घ्याव्या लागतात. कपाळफोडीच्या पानांचा रस, कंकोळ, दालचिनी, लेंडीपिंपळी, एरंडेल किंवा एरंडीच्या पानांचा रसातुन घेतल्यास संधीवात सुरवातीसच कमी होतो.


पूरे संयंत्र स्वेदजनक है, मूत्रवर्धक, उबकाई, आर्तवजनक, रेचक, सर्द, रक्तिमाकर, भूख बढ़ानेवाला और स्वेदकारी [218]. यह गठिया के इलाज, स्नायु रोग, अंग और सर्पदंश के [240 कठोरता, 243] में प्रयोग किया जाता है. पत्तियों रक्तिमाकर हैं, वे गठिया के उपचार में एक प्रलेप के रूप में लागू कर रहे हैं. [240, 243]. उन से बनी चाय खुजली वाली त्वचा के उपचार में प्रयोग किया जाता है. [218] नमकीन पत्ते सूजन पर एक प्रलेप के रूप में उपयोग किया जाता है. [218] पत्ती का रस कान का दर्द के लिए एक इलाज के रूप में इस्तेमाल किया गया है. [240, 243]. जड़ स्वेदजनक, मूत्रवर्धक, आर्तवजनक, रेचक, और [240] रक्तिमाकर है. यह कभी कभी गठिया, लूम्बेगो, और तंत्रिका [240] बीमारियों के उपचार में प्रयोग किया जाता है.

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